इश्क़ में ज़िंदगी लिख दूँ या दर्द में मौत लिख दूँ, इश्क़ में ज़िंदगी लिख दूँ या दर्द में मौत लिख दूँ,
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में
क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों में याद उसकी सुख दुःख ... क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों मे...
ये इश्क़ न जाने क्यों बेताब सा दिखता है खुशबू कोई भी हो फूल गुलाब सा दिखता है... ये इश्क़ न जाने क्यों बेताब सा दिखता है खुशबू कोई भी हो फूल गुलाब सा दिखता है...